Sunday, 21 June 2015

Bgk  65 कोई खुशियों कीमें रोया कोई दुखों की पनाह में रोया.. अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का.. कोई भरोसे के लिए रोया.. कोई भरोसा कर के रोया......

No comments:

Post a Comment

Thankyou