Bgk80 रहता हूं किराये के घर में...
ज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं...
.
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी...
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं...
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जल जायेगा ये मेरा घर इक दिन...
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं...
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खुद के सहारे मैं श्मशान तक भी ना जा सकूंगा...
फिर ज़माने को क्यों दुश्मन बनाता हूं...
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कितना नमक हराम हो गया हूं मैं इस ज़माने की आबो हवा में...
जिसका घर है उसी मालिक को मैं रोज़ दिन भूल जाता हूं...
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लकड़ी का जनाज़ा ही मेरे काम आयेगा उस दिन...
फिर भी खुद को गाड़ियों का शौकीन बतलाता हूं...
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🌟मैं आत्मा हूँ और परमात्मा के पास जाना है..
और मैं पगला पल भर की देह को मुकम्मल बतलाता हूं...$.D
ज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं...
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मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी...
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हूं...
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जल जायेगा ये मेरा घर इक दिन...
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं...
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खुद के सहारे मैं श्मशान तक भी ना जा सकूंगा...
फिर ज़माने को क्यों दुश्मन बनाता हूं...
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कितना नमक हराम हो गया हूं मैं इस ज़माने की आबो हवा में...
जिसका घर है उसी मालिक को मैं रोज़ दिन भूल जाता हूं...
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लकड़ी का जनाज़ा ही मेरे काम आयेगा उस दिन...
फिर भी खुद को गाड़ियों का शौकीन बतलाता हूं...
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🌟मैं आत्मा हूँ और परमात्मा के पास जाना है..
और मैं पगला पल भर की देह को मुकम्मल बतलाता हूं...$.D
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