Tuesday, 23 June 2015

Bgk83
 जब मैं 3 वर्ष का था तब मैं यह सोचता था की मेरे पिता दुनिया के सबसे मजबूत और ताकतवर इंसान हैं
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जब मैं 6 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया की मेरे पिता दुनिया के सबसे ताकतवर ही नहीं सबसे समझदार इंसान भी हैं
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जब मैं 9 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की मेरे पिता को दुनिया की हर चीज़ के बारे में ज्ञान है
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जब मैं 12 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस करने लगा की मेरे दोस्तों के पिता मेरे पिता से ज्यादा समझदार हैं
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जब मैं 15 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की मेरे पिता को दुनिया के साथ चलने के लिए कुछ और ज्ञान की ज़रूरत है
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जब मैं 20 वर्ष का हुआ तब मुझे यह महसूस हुआ की मेरे पिता किसी दूसरी  दुनिया के हैं और यह मेरी सोच के साथ नहीं चल सकते
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जब मैं 25 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की मुझे किसी भी काम के बारे में अपने पिता से सलाह नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें हर काम में कमी निकलने की आदत सी पड़ गयी है
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जब मैं 30 वर्ष का हुआ तब मैं यह महसूस करने लगा की मेरे पिता को मेरी नक़ल करने से कुछ समझ आ गयी है
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जब मैं 35 वर्ष का हुआ तब मुझे लगा की छोटी मोती बातों में उनसे सलाह ली जा सकती है
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जब मैं 40 वर्ष का हुआ तब मैंने यह महसूस किया की कुछ ज़रूरी बातों में सलाह लेनी चाहिए 
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जब मैं 50 वर्ष का हुआ तब मैंने यह फैसला किया की अपने पिता की सलाह के बिना कुछ नहीं करना चाहिए क्योंकि मुझे यह ज्ञान हो चूका है की मेरे पिता दुनिया के सबसे समझदार व्यक्ति हैं पर इससे पहले मैं यह समझ पाता और अपने फैसले पर अमल कर पाता मेरे पिता जी इस संसार को अलविदा कह गए और मैं अपने पिता की हर सलाह और तजुरबे से वंचित रह गया$.D

-"Swami Vivekanand« 


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