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भारत भी विचित्र देश है जहां भगत सिंह राष्ट्र भक्त को फाँसी से बचाने के लिए गांधी जैसे महात्मा भी चुप रहे और याकुब को बचाने के लिए झुंड की तरह इकटठा हो गए हैं । इसी से अंदाजा लगा लें कि क्यों भारत 800 वर्ष गुलाम बना रहा और आज भी गुलामी के कीटाणु मौजूद हैं$D #MyKhamoshi
☆☆
भारत सरकार से अपील है की अभी-२ पंजाब में आतंकवादियों द्वारा किये गये हमले से लड़ने के लिए सेना,कमांडों इत्यादि ना भेजे
जिन-जिन सेकुलरों तथा मशहूर हस्तियों ने अपने AC कमरों में बैठकर आतंकी याकूब मेमन पर दया दिखाने की चिट्ठी लिखी है उन सभी महान आत्माओं को वहां भेजा जाए आतंकवादियों को प्यार से समझाने-बुझाने और मनाने के लिए क्योंकि उन 300 लोगों के अनुसार आतंकवादी मासूम और निर्दोष होते है
☆☆
Govt. से निवेदन है कि किसी आतंकी को पकड़ने की बजाय गोली मार दे ,
नही तो बाद मे गद्दार लोग राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर उन्हे भी छोड़ने की गुहार लगाएगे
☆☆
ललित मोदी के समर्थन में पत्र लिखने से सुषमा स्वराज अपराधी है?
तो क्या याकूब का समर्थन करने वाले सभी लोग आतंकवादी नहीं है
☆☆
सवाल : क्या सभ्य समाज मे फांसी जरुरी है....?
जवाब : नही सभ्य समाज मे बम ब्लास्ट ही ठीक है..
याकूब की फांसी के विरुद्ध ///////
न्यूज चैनलों के माध्यम से भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है। हमारी न्याय प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
/////// की चेतावनी के विरुद्ध भारत माँ के एक लाल का आक्रोश कविता के रूप में प्रस्तुत है।
पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइये।
*****************************************
न्याय की बातें करने वाले गिरेबान में झाँक जरा
निर्दोषों की हत्याओं पर पहले माफ़ी मांग जरा
क्या गलती थी उन लोगों की जिनको तूने मार दिया
दो सौ तिरपन निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया
तब मानवता कहाँ गयी थी जब मुम्बई दहलायी थी
न्याय अन्याय की बातें याद नहीं तब आयी थीं
वो न्याय की बात करें जो अन्याय से खेले हैं
तेरा केवल एक मरा है हमने लाखों झेले हैं
कोई अपने घर से निकला था बच्चों को लाने को
कोई प्रसव पीड़ित पत्नी को डाक्टर को दिखाने को
कोई बेटी की शादी की बात चलाने निकला था
कोई घर से बस अपना परिवार चलाने निकला था
कुछ बूढी माँ की दवाई का पर्चा लेकर निकले थे
घूमने फिरने को पापा से खर्चा लेकर निकले थे
बड़ा पाव पानी पूरी खाने को सखियाँ निकलीं थी
चूड़ी बिंदी लाने को कुछ बहन बेटियां निकलीं थी
सच करने को निकले थे कुछ ख़्वाबों की तस्वीरों को
कुछ कर्मों से बदलने निकले थे अपनी तकदीरों को
अब तक उबर नहीं पायी है मुम्बई उन विस्फोटों से
खून अभी तक रिस्ता है उन निर्दोषों की चोटों से
न्याय अन्याय क्या है मत समझाओ उपदेशों से
कितनों ने पहचाना अपने लोगों को अवशेषों से
लाशों का अम्बार लगा यूं लगा गगन भी कफ़न हुआ
आधा शरीर जब नहीं मिला आधा शरीर ही दफ़न हुआ
बैठ के गोद में अब्बा की अब हमको आँख दिखाते हो
अपराधी होकर न्याय का पाठ हमें सिखलाते हो
हम न्याय नियम के पक्के हैं हम खूब कड़ाई करते हैं
फांसी के दो घंटे पहले तक सुनवाई करते हैं
तू बाइस बरस की सुनवाई को नहीं मानता न माने
तू अपनी हरकत को गलती नहीं मानता न माने
तू चैनल पर फोन के द्वारा हमको धमकी देता है
अंत समय जब आता है बुद्धि उल्टी हो जाती है
तू बदले की बात न कर याकूब तो केवल झांकी है
निर्दोषों की हत्याओं का बदला लेना बाकी है
हों कितनी मजबूत दीवारें हमें तोड़ना आता है
आँख दिखाने वालों हमको आँख फोड़ना आता है
तू अपने लोगों कह दे, लें जगह ढूंढ दफनाने की
कीमत तुझे चुकानी होगी, शेरों को उकसाने की .
🚩वन्दे मातरम् - वन्दे मातरम🚩
*********************************************
प्रिय मित्रों,
अनुरोध है कि इस कविता को रुकने न दें। जितना भी संभव हो अधिक से अधिक शेयर करें।
एक बार सरकार बोल दे की
एक आतंकवादी लाने पर
एक आदमी को सरकारी नौकरी मिलेगी
हमारे लड़के सारा आतंकवाद ख़ाक कर देंगे !!
☆☆
बेवङा~knock knock दारू हैߍक्या??
दुकानदार~चल भाग साले रात के 2 बजे है !!
बेवङा~ कामचोर तू सुप्रीम कोर्ट से बङा है क्या??
..
जब वो जाग सकती है तो तू क्यों नहीं ??$D #MyKhamoshi
भारत भी विचित्र देश है जहां भगत सिंह राष्ट्र भक्त को फाँसी से बचाने के लिए गांधी जैसे महात्मा भी चुप रहे और याकुब को बचाने के लिए झुंड की तरह इकटठा हो गए हैं । इसी से अंदाजा लगा लें कि क्यों भारत 800 वर्ष गुलाम बना रहा और आज भी गुलामी के कीटाणु मौजूद हैं$D #MyKhamoshi
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भारत सरकार से अपील है की अभी-२ पंजाब में आतंकवादियों द्वारा किये गये हमले से लड़ने के लिए सेना,कमांडों इत्यादि ना भेजे
जिन-जिन सेकुलरों तथा मशहूर हस्तियों ने अपने AC कमरों में बैठकर आतंकी याकूब मेमन पर दया दिखाने की चिट्ठी लिखी है उन सभी महान आत्माओं को वहां भेजा जाए आतंकवादियों को प्यार से समझाने-बुझाने और मनाने के लिए क्योंकि उन 300 लोगों के अनुसार आतंकवादी मासूम और निर्दोष होते है
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Govt. से निवेदन है कि किसी आतंकी को पकड़ने की बजाय गोली मार दे ,
नही तो बाद मे गद्दार लोग राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर उन्हे भी छोड़ने की गुहार लगाएगे
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ललित मोदी के समर्थन में पत्र लिखने से सुषमा स्वराज अपराधी है?
तो क्या याकूब का समर्थन करने वाले सभी लोग आतंकवादी नहीं है
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सवाल : क्या सभ्य समाज मे फांसी जरुरी है....?
जवाब : नही सभ्य समाज मे बम ब्लास्ट ही ठीक है..
याकूब की फांसी के विरुद्ध ///////
न्यूज चैनलों के माध्यम से भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है। हमारी न्याय प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
/////// की चेतावनी के विरुद्ध भारत माँ के एक लाल का आक्रोश कविता के रूप में प्रस्तुत है।
पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइये।
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न्याय की बातें करने वाले गिरेबान में झाँक जरा
निर्दोषों की हत्याओं पर पहले माफ़ी मांग जरा
क्या गलती थी उन लोगों की जिनको तूने मार दिया
दो सौ तिरपन निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया
तब मानवता कहाँ गयी थी जब मुम्बई दहलायी थी
न्याय अन्याय की बातें याद नहीं तब आयी थीं
वो न्याय की बात करें जो अन्याय से खेले हैं
तेरा केवल एक मरा है हमने लाखों झेले हैं
कोई अपने घर से निकला था बच्चों को लाने को
कोई प्रसव पीड़ित पत्नी को डाक्टर को दिखाने को
कोई बेटी की शादी की बात चलाने निकला था
कोई घर से बस अपना परिवार चलाने निकला था
कुछ बूढी माँ की दवाई का पर्चा लेकर निकले थे
घूमने फिरने को पापा से खर्चा लेकर निकले थे
बड़ा पाव पानी पूरी खाने को सखियाँ निकलीं थी
चूड़ी बिंदी लाने को कुछ बहन बेटियां निकलीं थी
सच करने को निकले थे कुछ ख़्वाबों की तस्वीरों को
कुछ कर्मों से बदलने निकले थे अपनी तकदीरों को
अब तक उबर नहीं पायी है मुम्बई उन विस्फोटों से
खून अभी तक रिस्ता है उन निर्दोषों की चोटों से
न्याय अन्याय क्या है मत समझाओ उपदेशों से
कितनों ने पहचाना अपने लोगों को अवशेषों से
लाशों का अम्बार लगा यूं लगा गगन भी कफ़न हुआ
आधा शरीर जब नहीं मिला आधा शरीर ही दफ़न हुआ
बैठ के गोद में अब्बा की अब हमको आँख दिखाते हो
अपराधी होकर न्याय का पाठ हमें सिखलाते हो
हम न्याय नियम के पक्के हैं हम खूब कड़ाई करते हैं
फांसी के दो घंटे पहले तक सुनवाई करते हैं
तू बाइस बरस की सुनवाई को नहीं मानता न माने
तू अपनी हरकत को गलती नहीं मानता न माने
तू चैनल पर फोन के द्वारा हमको धमकी देता है
अंत समय जब आता है बुद्धि उल्टी हो जाती है
तू बदले की बात न कर याकूब तो केवल झांकी है
निर्दोषों की हत्याओं का बदला लेना बाकी है
हों कितनी मजबूत दीवारें हमें तोड़ना आता है
आँख दिखाने वालों हमको आँख फोड़ना आता है
तू अपने लोगों कह दे, लें जगह ढूंढ दफनाने की
कीमत तुझे चुकानी होगी, शेरों को उकसाने की .
🚩वन्दे मातरम् - वन्दे मातरम🚩
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प्रिय मित्रों,
अनुरोध है कि इस कविता को रुकने न दें। जितना भी संभव हो अधिक से अधिक शेयर करें।
एक बार सरकार बोल दे की
एक आतंकवादी लाने पर
एक आदमी को सरकारी नौकरी मिलेगी
हमारे लड़के सारा आतंकवाद ख़ाक कर देंगे !!
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बेवङा~knock knock दारू हैߍक्या??
दुकानदार~चल भाग साले रात के 2 बजे है !!
बेवङा~ कामचोर तू सुप्रीम कोर्ट से बङा है क्या??
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जब वो जाग सकती है तो तू क्यों नहीं ??$D #MyKhamoshi