Monday, 23 November 2015

वह लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

Bgk

वह लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था -

-----------------------------------------

नहीं मिलती है।

ढूंढता हूँ तो भी,

और नहीं तो भी,

वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

घिरी रहती है तेल नून के चक्करों में।

बच्चों की पढाई या उनकी दवाइयों के schedule में,

मसरूफ सी कोई मिलती तो ज़रूर है

पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था..

जो बिना बात किये रह न पाती थी,

आज कल सिर्फ एक ही सवाल पूछती 'कल tiffin में क्या

ले जाओगे?

याद है मुझे वह बातूनी

पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था..

कतई ऐतियात से काजल लगाने का था शौक़ जिसे,

आजकल दिनों तक बालों के गिरहन भी नहीं सुलझाती,

याद है मुझे वह अल्ल्हड़

पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था...

नए जूते की मामुली सी खारिश ने रुलाया था जिसे घंटो,

बेपरवाह लेकर घूमती है हाथों पर, रसोई के छाले वह आज ,

याद है मुझे वह नाज़ो से पली

पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था...

लेकिन यह देखा है मैंने,

की ज़िंदगी की हर चीज़ में अपवाद होता है ,

इतवार की शाम चौक से गुज़रते समय,

जब पानी के बताशों के ठेलों की तरफ देखती है

तो उसकी लालची निगाहों में,

दिख जाती है वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था...

मैं आज भी अक्सर बैठक के सोफे, पर ही पसर जाता हूँ ।

रात भर ठण्ड में ठिठुरता हूँ,

और सुबह अपने को, ख्याल से डाले हुए कम्बल में ढका पाता हुँ.

सुबह की हड़बड़ी में शरारत से ही सही पर पूछता ज़रूर हूँ ,

आखिर पिछली रात किसने की थी मेहरबानी;

और फिर उसकी दबी सी लाज भरी हंसी में आखिर पा ही जाता हूँ ,,

वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था .....

#MyKhamoshi

-------------------------------

No comments:

Post a Comment

Thankyou